अक्स न्यूज लाइन शिमला 25 दिसंबर :
उप मण्डलीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जुब्बल के सभागार में विशाल विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता अध्यक्ष उप मण्डलीय विधिक सेवा प्राधिकरण जुब्बल शीतल गुप्ता ने की। इस शिविर में नशा मुक्त समाज - भारत का संकल्प, पर्यावरण भूमण्डल सरक्षण और आपदा पीड़ितों का पुनर्वास आदि विषयों पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये। इस दौरान स्कूली छात्र छात्राएं, विभिन्न पंचायतों से आए महिला मण्डलो एवं स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने भी हिस्सा लिया।
शीतल गुप्ता ने कार्यक्रम में आये हुए सभी वक्ताओं और अतिथियों का इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने पर आभार जताया और बताया कि जन सामान्य को विभिन्न विषयों पर क़ानूनी रूप से जागरूक करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस शिविर में हुई चर्चा से आम जन मानस को लाभ मिलेगा और समाज में बढ़ते नशे को समाप्त करने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूकता फैलेगी।
आपदा पुनर्वास के विषय पर बोलते हुए उपमंडल दण्डाधिकारी जुब्बल गुरमीत नेगी और नायब तहसीलदार युद्धअभय सिंह और वरिष्ठ अधिवक्ता लोकिन्दर शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक और मानव निर्मित अपादा के समय में सरकार किस प्रकार से नागरिकों को राहत पहुंचती है और बचाव कार्य करती है तथा पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा क्या-क्या नियम बनाएं गए है। साथ ही यह भी बताया कि किन प्रावधानो के अंतर्गत कोई भी भूमिहीन नागरिक सरकार से अपने आवास हेतू भूमि की मांग कर सकता है। सभी वक्ताओं ने इस विषय से सम्बंधित कानूनी प्रावधानो का भी विस्तार पूर्वक उल्लेख किया।
नशा मुक्ति के विषय पर एसएचओ जुब्बल चेतन चौहान, डॉ कार्तिक, डॉ अखिल और अधिवक्ता रितेशशर्मा ने समाज में बढ़ती नशे की प्रवृति पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि वर्तमान समय में युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृति एक गंभीर चुनौती बन चुका है जिसके उन्मूलन हेतू सरकार तो प्रतिबद्ध है ही किन्तु समाज के सभी लोगों को इस विषय से निपटने के लिए एकजुट होना होगा। इसके साथ ही उन्होंने नशे से होने वाले स्वास्थ्य के नुकसान और मादक द्रव्यों और नशे से जुड़े कारोबार में संलिप्त पाए जाने पर नशा विरुद्ध कानून के अंतर्गत होने वाली सजा के प्रावधानो का उल्लेख भी किया।
पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए वन मित्र कृतिका, अधिवक्ता निखिल रोलटा और सहायक ज़िला अभियोजक टेंज़ीन नेगी ने बताया कि वर्तमान समय में पर्यावरण का बिगड़ना एक वैश्विक चुनौती है और आने वाले समय में यह एक भयावह रूप ले सकता है। इसलिए इस बात की विशेष आवश्यकता है कि हम सभी पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझें और उसका सम्मान करें क्योंकि पर्यावरण के बिना पृथ्वी पर कोई जीवन की कल्पना नहीं कर सकता। पर्यावरण प्रदूषण के विषय में क़ानूनी पहलुओं पर भी चर्चा कि गई। इसके अतिरिक्त प्रियांशी वर्मा और राजनीती शास्त्र के प्रवक्ता बलवंत झौटा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।