शहीद प्रवीण शर्मा को दी सैन्य सम्मान अश्रुपूर्ण विदाई.. शहीद प्रवीण शर्मा अमर रहे के नारों से गूंज उठा पाहलु गांव

शहीद प्रवीण शर्मा को दी सैन्य सम्मान अश्रुपूर्ण विदाई..    शहीद प्रवीण शर्मा अमर रहे के नारों से गूंज उठा पाहलु गांव

अक़्स न्यूज लाइन, नाहन -- 12 अगस्त 

राजगढ़..शहीद लांस नायक प्रवीन शर्मा का सोमवार को अपने पैतृक गांव पाहलु में सैन्य सम्मान के साथ अश्रुपूर्ण  अंतिम विदाई दी गई । भारत माता की जय- प्रवीण कुमार अमर रहे  के नारे से समूचा पाहलु गांव गूंज उठा । माता रेखा, बहने व अन्य परिजन प्रवीण की तिरंगे झंडे में लिपटे पार्थिव शरीर को देखकर बिलख बिलख कर रो -रो कर बेसुध हो रहे थे ।  हर व्यक्ति इस प्रवीण की शहादत को लेकर  गमगीन था । शहीद के पिता राजेश शर्मा  ने अपने इकलौते बेटे को मुखाग्नि दी गई । सेना के जवानों ने इस मौके पर शहीद को अंतिम सलामी दी । प्रशासन की ओर से इस मौके पर विधायक रीना कश्यप , एसडीएम राजगढ़ राजकुमार ठाकुर, स्थानीय प्रधान रीना ठाकुर सहित भारी संख्या में मौजूद लोगों ने शहीद प्रवीण को अंतिम विदाई दी ।

 बीते 10 अगस्त को राजगढ़ ब्लॉक के पाहलू गांव के लांस नायक प्रवीन शर्मा (26) का जम्मू कश्मीर के कोकरनाग  में ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में  वीरगति को प्राप्त हुए है । प्रवीण शर्मा वन पैरा स्पेशल फोर्स में तैनात थे। प्रवीन शर्मा पझौेता स्वतन्त्रता सेनानी के वंशज से संबध रखते हैं । युवा शहीद प्रवीण शर्मा  पालू गावं के राजेश शर्मा के इकलौते पुत्र है अर्थात  दो बहनो के इकलौते भाई है । प्रवीण शर्मा के वीरगति प्राप्त करने की खबर से समूचे राजगढ़ क्षेत्र में शोक की लहर है ।
बता दें कि शहीद प्रवीण शर्मा वर्ष 2014 में सेना में भर्ती हुए थे और पदोन्नति पाकर लांस नायक पद पर पहुंचे थे। उनके पिता राजेश शर्मा किसान हैं और गांव में दुकान भी करते हैं। उनकी माता रेखा शर्मा गृहणी है,

जबकि उनकी दादी चम्पा शर्मा भी अभी तक स्वस्थ है और पोते के शहीद होने की सूचना से स्तब्ध हैं। शहीद के पिता के अनुसार शहीद प्रवीण शर्मा की दो महीने बाद अक्टूबर में शादी थी। अपने इकलौते बेटे के शहीद होने पर उनके माता पिता यकीन नहीं कर पा रहे हैं। उनकी दो विवाहित बहनें पूजा व आरती भी है। दोनों बहनों को यकीन ही नहीं हो रहा है कि अब उनका इकलौता भाई नहीं रहा है। अभी राखी का पर्व भी है और दोनों बहनों को भाई को राखी बांधने का इंतजार था।
.0.