शराब घोटाले से घाटी हिमाचल की राजस्व प्राप्तियां : रणधीर

शराब घोटाले से घाटी हिमाचल की राजस्व प्राप्तियां : रणधीर

अक्स न्यूज लाइन शिमला 19 मार्च : 


विधानसभा को संबोधित करते हुए भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा ने कहा मुख्यमंत्री को 17 तारीख से बहुत प्यार है क्योंकि हर साल 17 तारीख को ही बजट आता है और साथ ही मुख्यमंत्री को ऑटो से भी बहुत प्यार है। पर जनता को उनके किए गए ड्रामे से प्यार नहीं है, जनता धरातल पर रिजल्ट चाहती है और अगर रिजल्ट ठीक ना हो तो घर बैठा देती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी वैगन आर जैसी गाड़ी में आते थे और बजट पड़ा करते थे, पर आज उनकी पार्टी और उनको जनता ने घर बैठा दिया है। 


उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की सबसे ज्यादा बड़ी और सफलता यह है कि वह बजट में केवल 70 करोड़ की वृद्धि कर पाए। मुख्यमंत्री केवल जीएसटी कंपनसेशन एवं आरडीजी करना रोते हैं पर हम उनका स्पष्ट करना चाहते हैं कि जीएसटी कंपनसेशन 2022 में ही बंद हो गई थी और आरडीजी लगातार घटती ही जा रही है वह मुख्यमंत्री को स्वयं ही पता है। पर पिछले वर्ष बजट में 5000 करोड़ की वृद्धि की गई थी और साथ ही राजस्व प्राप्ति में 4000 करोड़ की बढ़ोतरी हुई थी पर इस वर्ष राजस्व प्राप्ति में केवल 190 करोड़ की बढ़ौतरी हुई है। रणधीर शर्मा ने कहा कि हम मुख्यमंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है और साथ ही उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार एवं भारतीय जनता पार्टी की सरकार जिम्मेदार नहीं है, अगर कोई जिम्मेदार है तो वह केवल कांग्रेस सरकार का वित्तीय कुप्रबंधन एवं भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में एक्साइज एवं टैक्स कलेक्शन काम हो चुकी है और इसका बहुत बड़ा कारण हिमाचल प्रदेश में हुआ शराब घोटाला है। शराब घोटाले से हिमाचल प्रदेश की आमदनी बहुत ज्यादा घटी है।


उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कोई भी विकास कार्य नहीं हो रहा है, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकारों में किसी भी प्रकार के उद्योग नहीं आ रहे हैं और हम स्पष्ट करना चाहते है कि अगर उद्योग आते हैं तभी प्रदेश की राजस्व प्राप्तियां बढ़ती है। उल्टा हिमाचल प्रदेश से उद्योग तो पलायन कर रहे हैं यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश में आज वित्तीय संकट चरम पर है। शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद तेजी से घट रहा है, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश ऋण नहीं ले पा रहा है, क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद का केवल 3% ही प्रदेश ऋण ले सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश में स्पेशल असिस्टेंस ग्रांट में 1100 करोड़ की वृद्धि हुई है।