देश विदेश की नीतियों पर, कसौली "लेट फेस्टिवल" में टिप्पणियां बौद्धिक जिहाद : विवेक शर्मा

देश विदेश की नीतियों पर, कसौली "लेट फेस्टिवल" में टिप्पणियां बौद्धिक जिहाद : विवेक शर्मा

अक्स न्यूज लाइन  सोलन 21 अक्तूबर :
 भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कसौली लेट फेस्टिवल पर कहा ,स्वयंभू बुद्धिजीवी, विचारक, शोधकर्ता, इतिहासकार, लेखक व राष्ट्रीय आलोचकों का जमावड़ा कई वर्षों से कसौली में "लेट फेस्ट" राष्ट्र विरोधी इतिहास महोत्सव के नाम पर कसौली क्लब में चला आ रहा है। जिसमे राष्ट्र को कोसने ,राष्ट्र  की नीतियों पर आलोचना से लेकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर कुंठा ग्रसित स्वयंभूओ द्वारा राष्ट्र विरोधी  विचार प्रस्तुत किए जाते हैं।
वास्तव में यह शराब पीने मौज मस्ती के ठिकाने पर राष्ट्र को कोसने और अभद्रता को परोसने का केंद्र स्थापित हो गया है।
मेरा हिमाचल प्रदेश प्रशासन व सरकार से विनम्र निवेदन है इस राष्ट्र विरोधी वैचारिक जिहाद से सख्ती से निपट जाए।
बौद्धिक जिहाद मानवीय अपराध से अधिक खतरनाक होता है। अभिव्यक्ति को बोलने का अधिकार कानून की लाचारी में ना परिवर्तित हो प्रदेश सरकार सुनिश्चित करें।
आप किसी दिवंगत की याद में एकत्रित होकर के अपने विचारों के अनुमोदन और संबोधन में भारत की अर्थव्यवस्था, भारत की अंतरराष्ट्रीय संधियां व नीतियों पर किन राष्ट्र विरोधी ताकतों के इशारे पर आलोचना करने का अधिकार इनको प्राप्त हुआ है। *कभी प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू  की विदेश नीतियां तो कभी वर्तमान प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय नीतियों पर टिप्पणी* आखिर लिटरेचर फेस्टिवल के नाम पर किन देशद्रोही ताकतों के इशारे पर भौतिक जिहादियों को आलोचना का अधिकार प्राप्त हुआ है।
 विदेशों मे रह रहे भारतीय, विश्व के श्रेष्ठ पदों पर कार्यरत भारतीय व अंतराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे खिलाड़ी ,अधिकारी व नेताओं को राष्ट्र विरोधी वैचारिक जिहाद का सामना करना पड़े तो भारतवासी होने के नाते हम सबके लिए यह बेहद शर्मनाक है । ऐसी स्थिति में हम अपनी धरती का उपयोग अपने जेष्ठ व श्रेष्ठ नेताओं की आलोचना के लिए उपयोग नहीं होने देंगे।
 इसे रोकना प्रत्येक सरकार की जिम्मेवारी है।
आज का भारत राष्ट्रीय स्वाभिमान के लिए आवाज उठाना भी जानता है। हम कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहते लेकिन अगर इस अपवाद पर कानूनी अंकुश नहीं लगता है तो परिस्थितियां आगामी वर्षों में खराब हो सकती हैं यह प्रदेश सरकार को सुनिश्चित करना होगा।
भौतिक क्षमता की आजादी राष्ट्र विरोधी ना हो यह सुनिश्चित करना कानून व्यवस्था का काम है।
वर्तमान में प्रदेश सरकार इसमें सफल नहीं दिख रही।
मेरा प्रदेश के सम्माननीय  मुख्यमंत्री से विनम्र प्रार्थना है। कृपया बौद्धिक जिहाद पर अंकुश लगाए।