प्रदेश सरकार की नाकामी का परिणाम है सड़कों पर उतरे लोग : जयराम ठाकुर

प्रदेश सरकार की नाकामी का परिणाम है सड़कों पर उतरे लोग : जयराम ठाकुर

अक्स न्यूज  लाइन शिमला 21 सितंबर :  

 

पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी बयान में कहा कि प्रदेश की सुक्खू सरकार पूरी तरह से नाकाम हो गई है। आज प्रदेश का हर वर्ग सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर है। बीते रोज़ सरकार के ख़िलाफ़ विभिन्न संगठनों ने प्रदेश भर में प्रदर्शन किया। लगभग डेढ़ साल में ही प्रदेश के सभी वर्ग द्वारा सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने के पीछे की वजह है कि सत्ता में आने के लिए कांग्रेस ने चुनाव के दौरान बड़े बड़े वादे किए, झूठी गारंटियां दी। लेकिन सत्ता में आने के बाद सारी की सारी गारंटियां भूल गए और एक तानाशाह की तरह शासन करने लगे। जब मन में आया डीज़ल के दाम बढ़ा दिए, सीमेंट के दाम बढ़ा दिए, डिपुओं में  मिलने वाले राशन के दाम बढ़ा दिए। जब मन में आया कर्मचारियों का डीए  रोक दिया, वेतन को विलंबित करने का फ़ॉर्मूला भी सरकार की इसी नासमझी और दूरदर्शिता रहित सोच का परिणाम है।

 

जयराम ठाकुर ने कहा कि आज प्रदेश के ख़िलाफ़ समाज का कोई एक वर्ग अथवा संगठन ही नहीं हैं बल्कि सभी वर्गों के लोग सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं, सड़कों पर आ रहे हैं,प्रदर्शन कर रहे हैं इसके बाद भी सरकार लोगों की भावनाओं को समझ नहीं पा रही है। लोगों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही है। मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार के लिए यह आत्मचिंतन का समय है कि मात्र 21 महीने के कार्यकाल में ही ऐसी स्थितियां क्यों आ गई।सरकार को एक स्वीकार करना होगा कि वह पूरी तरह के फ़ेल है। चुनाव के समय प्रदेश के लोगों से किया गया एक भी वादा वह निभा नहीं पाई है।

 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने समूचे प्रदेश के लोगों को निराश किया है। सरकार के अब तक का प्रदर्शन देखकर लोगों का सरकार से भरोसा उठ चुका है। क्योंकि यह सरकार अपनी नाकामी को स्वीकार नहीं कर रही है और जब तक अपनी नाकामी को स्वीकार नहीं करेगी अब तक सुधार की कोई गुंजाइश भी नहीं होने वाली है। उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन करते हुए कहा कि वह प्रदेस की ज़मीनी हक़ीक़त को समझें और लोगों के हितों के लिए एक कल्याणकारी राज्य' के मुखिया की तरह कार्य करें। अगर समाज का हर वर्ग सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलित है तो यह स्पष्ट है कि सरकार हर मोर्चे पर नाकाम है। सरकार जनता की अपेक्षाओं की उपेक्षा नहीं कर सकती है।