राष्ट्रपति ने हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की
इस अवसर पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल आगमन पर राष्ट्रपति का स्वागत किया। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले मेधावियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह एक यादगार पल होता है जो विद्यार्थियों को भविष्य में प्रगति के पथ पर अग्रसर रहने की प्रेरणा देता है और अपने संस्थान के अविस्मरणीय क्षणों की याद दिलाता है।
उन्होंने कहा कि यह क्षण रचनात्मकता, ज्ञान और निरंतर सीखने की अभिलाषा की शुरूआत है। उन्होंने कहा कि सभी मेधावियों के लिए यह आत्ममंथन का दिन है ताकि कमजोरियों और क्षमताओं की पहचान की जा सके।
राज्यपाल ने कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की समाज, देश और राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है और उन्हें पूर्ण निष्ठा से इस भूमिका को निभाना है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से अर्जित ज्ञान का उपयोग वे समाज के हित में करें। विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों की स्थापना करते हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा का महत्व जीवन को एक उद्देश्य प्रदान करना होता है। ज्ञान हमें दूसरों के लिए निज हितों का त्याग करना सिखाता है। उन्होंने कहा कि समाज के निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है और उनकी शिक्षाएं समाज पर दूरगामी प्रभाव डालती है। शिक्षक वह आधार है जिस पर एक शिक्षित और सभ्य समाज की नई पौध विकसित होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को विद्यार्थियों को इस ढंग से ढालना चाहिए ताकि वे समाज में सुशिक्षित, ईमानदार और जागरूक नागरिक की भूमिका निभा सके।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में विद्यार्थियों को अपने कार्य में गुणवता और गतिशीलता बनाए रखने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। इसके लिए ई-शिक्षा और तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और अनुसंधान में नई उंचाईयां हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देना आवश्यक है ताकि मेधावी विद्यार्थी विश्व में अपनी एक अलग पहचान स्थापित कर सके।
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को डॉक्रेट की मानद उपाधि प्रदान की।