अक्स न्यूज लाइन शिमला 28 जून :
राष्ट्रीय पुस्तक मेले के दौरान ऐतिहासिक गेयटी थियेटर के सभागार में ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी हमीरपुर द्वारा "हिमाचल प्रदेश के गांव का इतिहास" पुस्तक दो खंडों में प्रकाशित पुस्तकों का लोकार्पण संपन्न हुआ। इस अवसर पर शोध संस्थान के निदेशक एवं मार्गदर्शन डा. चेतराम गर्ग ने कहा- " गांव का इतिहास" भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत के इतिहास को समझने के लिए गांव के इतिहास, लोक संस्कृति, परंपराओं, जनजीवन और सामाजिक व्यवस्थाओं को समझना बहुत जरूरी है। भारत का अधिकांश इतिहास आक्रमणकारी अंग्रेजों और मुगलों द्वारा लिखा गया है। उन्होंने "फूट डालो और राज करो" इस कूटनीति के अंतर्गत भारत के वास्तविक इतिहास को तोड़ मरोड़ कर अपनी सुविधा के अनुसार पेश किया और भारतीय इतिहास के प्रति हीन भावना दिखलाई। यही विकृत इतिहास भारत वर्ष के शिक्षण संस्थानों में पढ़ा-पढ़ाया जा रहा है। अतः ऐतिहासिक घटनाओं से संबंधित विसंगतियों के चलते इसका अपेक्षित संशोधन एवं पुनर्लेखन जरूरी है। आक्रमणकारियों को महान बताना और भारतीय महापुरुषों तथा लोगों के योगदान को नजर अंदाज किया जाना, इसी षड्यंत्र का हिस्सा है। इसलिए भारत के इतिहास के पुनर्लेखन के लिए गांव के इतिहास को लिखा जाना जरूरी है। गांव का सच्चा इतिहास सामने आने पर ही भारत के इतिहास को सत्य घटनाओं के आधार पर प्रामाणिक रूप से लिखा जा सकता है, ताकि आने वाली पीढ़ी को अपने देश के इतिहास, लोक संस्कृति और परंपराओं को ठीक प्रकार से जानने का अवसर मिल सके और वे उसे पर गौरव कर सकें।
गांव के इतिहास का लेखन वहीं के स्थानीय विद्वान लेखकों द्वारा किया जाना चाहिए, इस दृष्टि से 12 चयनित गांव के इतिहास लेखन के लिए स्थानीय विद्वान लेखकों को चुना गया है, जो वहां की संस्कृति,इतिहास, परंपराओं और लोक जीवन को अच्छी तरह से जानते हैं तभी इसकी जो इसकी प्रामाणिकता संभव है।
डॉ चेतराम ने बताया कि "हिमाचल प्रदेश के वृहद् इतिहास" के लेखन की परियोजना पर भारत सरकार के सहयोग से कार्य किया जा रहा है, जिसमें प्राचीन इतिहास, आधुनिक इतिहास, स्वाधीनता का इतिहास, संस्कृति, समाजशास्त्र ,कला, पुरातत्व आर्थिक चिंतन आदि विषयों का समावेश होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रसिद्ध समाजसेवी राजकुमार वर्मा ने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि शोध संस्थान नेरी द्वारा अपनी स्थापना के बहुत कम वर्षों में साहित्य के विभिन्न विषयों पर आधारित सेमिनार, कार्यशालाएं परिचर्चाएं आयोजित की गई हैं और इन कार्यक्रमों के माध्यम से जो शोधपत्र प्राप्त हुए हैं उन्हें निरंतर प्रकाशित किया जा रहा है।
आज भी आजादी की अभिव्यक्ति के नाम पर देश को तोड़ने और देश विरोधी ताकतों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचाए जा रहे हैं परंतु भारत की राष्ट्रवादी ताकतों की मजबूती के सामने देश को कमजोर करने का एजेंडा टिक नहीं सकता ।
सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के पूर्व कुलपति उप कुलपति एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर डीडी शर्मा ने कहा किसी भी देश का इतिहास उसकी सांस्कृतिक विरासत समाज व्यवस्था और नागरिकों के लिए गौरव का विषय होता है परंतु उसमें होने वाली विकृतियों उसे कमजोर कर देती हैं। इसलिए इतिहास का प्रामाणिक संशोधन और उसका अगली पीडिया के लिए स्थानांतरण अत्यंत आवश्यक है।
समारोह के दौरान "गांव का इतिहास" पुस्तक की समीक्षा करते हुए प्रोफेसर ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि गांव का इतिहास पुस्तकों में चयनित गांव के इतिहास, संस्कृति मेले, पर्व, त्यौहार, जनजीवन, सामाजिक व्यवस्था, रीति रिवाज, लोकगीत, लोक कथाएं, देव परंपरा आदि विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया है। इस दृष्टि से एक ही आलेख में इतिहास और लोक संस्कृति की जानकारी पुस्तक की विशेषता है।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में कार्यरत प्रोफेसर अंकुश भारद्वाज ने जानकारी सांझा करते हुए बताया कि गांव का इतिहास शीर्षक से प्रकाशित इन दो पुस्तकों का संपादन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में कार्यरत प्रोफेसर अंकुश भारद्वाज द्वारा किया गया है। प्रत्येक खंड में छह गांव का इतिहास लोक संस्कृति जनजीवन मेल पर्व त्यौहार इत्यादि विभिन्न विषयों का प्रामाणिक वर्णन है।
गांव का इतिहास पुस्तक के दोनों खंडों में साहली (चंबा) गूंधला ( लाहुल) रिब्बा (किन्नौर), चरखड़ी (मंडी) पंजगाई (बिलासपुर) डोहगी (ऊना) झकांडो (सिरमौर) जौणाजी (सोलन) बटेवडी (शिमला) नेरटी (कांगडा) नग्गर (कुल्लू) आदि 12 गांव का इतिहास शामिल है। ये शोधपूर्ण आलेख विद्वान लेखक डॉ ओम प्रकाश शर्मा, डॉ विवेक शर्मा, डॉ रोशनी देवी, राजेंद्र शर्मा, डॉ सूरत ठाकुर, महेंद्र सिंह, मेहर चंद, दामोदर, बरूराम ठाकुर, डॉ ओम दत्त सरोच, राजेश्वर कारयप्पा द्वारा लिखे गए हैं।
ओकार्ड इंडिया तथा हिमालय मंच द्वारा रिज शिमला में आयोजित आठवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के दौरान आयोजित साहित्य उत्सव में किये गये पुस्तक लोकार्पण समारोह में पुस्तक के लेखकों, संपादक बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, पत्रकारों तथा प्रबुद्धजनों एवं पाठकों की सक्रिय भागीदारी रही। कार्यक्रम में मंच का संचालन डॉ. अरुण गुलेरिया और डॉ प्रियंका वैद्य द्वारा किया गया।