73 वर्षीय साई के पूर्व कोच.. मनमोहन शर्मा में आज भी क्रिकेट की कोचिंग का जनून बरकरार

73 वर्षीय साई के पूर्व कोच..  मनमोहन शर्मा में आज भी क्रिकेट की कोचिंग का जनून बरकरार

अक्स न्यूज लाइन नाहन , 11 दिसंबर :
क्रिकेट की पीच पर नए खिलाड़ियों को तराशने के लिये साई के पूर्व को मनमोहन शर्मा किसी परिचय के मोहताज नहीं है। 73 वर्षीय शर्मा में नये खिलाड़ियों को कोचिंग के जरिये खेल के टिप्स देने का जनून बरकरार है। मनमोहन शर्मा अक्सर के खिलाड़ियों साथ मैदान में नजर आते है क्रिकेट के प्रति समपर्ण की भावना के साथ।

मोहन शर्मा का जन्म हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के नाहन में हुआ। बचपन से ही क्रिकेट के प्रति उनकी गहरी रुचि थी।
उस समय क्रिकेट केवल बड़े शहरों और राजा-महाराजाओं तक सीमित था। सिरमौर के महाराज राजेंदर प्रकाश द्वारा नाहन के ऐतिहासिक विला राउंड मैदान में खेले जाने वाले टेनिस बॉल क्रिकेट मैचों से प्रेरित होकर मोहन शर्मा ने क्रिकेट को अपने जीवन का हिस्सा बनाया।
1966 में कॉलेज क्रिकेट टीम में शामिल होकर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद वह पंजाब यूनिवर्सिटी की बी डिवीजन टीम में खेले और फाइनल तक पहुंचे। 1973 में उन्होंने एन.आई.एस. पटियाला से कोचिंग के लिए प्रशिक्षण लिया और विकेटकीपर एवं मिडल ऑर्डर बल्लेबाज के रूप में अपनी पहचान बनाई।

1978 में गोवा में अपनी पहली नौकरी शुरू करते हुए उन्होंने क्रिकेट की नींव रखने का काम किया और तीन वर्षों तक अंडर-17 और अंडर-19 टीमों को प्रशिक्षित किया। बाद में उनका स्थानांतरण करनाल और फिर कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में हुआ, जहां उन्होंने हर साल 7-8 खिलाड़ियों को यूनिवर्सिटी टीम में चयनित होने में मदद की।

1996 में वह एचपीयू लौटे और वहां की टीम को पहली बार नॉर्थ जोन सेमीफाइनल में पहुंचाया। इसके बाद उन्होंने जिला स्तर पर अंडर-14 से लेकर सीनियर टीमों तक कोचिंग दी। सेवानिवृत्ति के बाद मोहन शर्मा ने सिरमौर क्रिकेट एसोसिएशन के तहत युवाओं को मुफ्त कोचिंग देना शुरू किया।
हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (एचपीयू), शिमला के कोच के रूप में उन्होंने कई खिलाड़ियों को रणजी ट्रॉफी तक पहुंचाया, जिनमें रमेश ठाकुर और अमित शर्मा जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी शामिल हैं। 1986 से 1992 के बीच पटना यूनिवर्सिटी में रहते हुए उनकी टीम ने तीन बार इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप जीती और दो बार उपविजेता रही। इस दौरान 8-10 खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी में जगह बनाने में सफल हुए।

आज, 73 वर्षीय मोहन शर्मा सिरमौर क्रिकेट के लिए एक आदर्श और प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके मार्गदर्शन में कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर सफलता हासिल की है। क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल है।