आने वाला कल पूछेगा दिल्ली में बैठा वो चौंकीदार कौन था कलाधारा संस्था ने भाषा विभाग के सौजन्य से करवाया कवि सम्मेलन

आने वाला कल पूछेगा दिल्ली में बैठा वो चौंकीदार कौन था कलाधारा संस्था ने भाषा विभाग के सौजन्य से करवाया कवि सम्मेलन

अक़्स न्यूज लाइन, नाहन -- 07 जनवरी 

कलाधारा संस्था ने भाषा एवं संस्कृति विभाग के सौजन्य से नाहन में कवि सम्मेलन आयोजित किया। इसमें नाहन के पूर्व विधायक एवं पूर्व हिमफैड अध्यक्ष कुंवर अजय बहादुर सिंह ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता नाहन महाविद्यालय के प्राचार्य डा. प्रेम भारद्वाज ने की। मंच का संचालन अनिल शर्मा ने किया। कलाधारा संस्था की ओर से शायर नासिर यूसुफजई व दीप राज विश्वास विशेष रूप से मौजूद रहे।

कार्यक्रम का आगाज ददाहू से आए अनंत आलोक ने भले दुश्मन सही हम तुम, मगर ये भी तो रिश्ता है, तो आओ पीठ से पीठें लगाकर बैठ जाते हैं.., से की। उन्होंने कई समसमायिक दोहे पढ़े और दाद पाई। प्रताप पराशर ने तुम्हे देखकर आज प्रियतम क्या भूलूं, क्या याद करूं.., दलीप विशिष्ट ने भीतर से दुखता हुआ मानव, मिलता है हंसता हुआ मानव.., और भुवन जोशी ने सौंधी मिट्टी, कच्चे घड़े, गंध से अपनी, महके घड़े.., सुनाकर रंग जमाया।

निशीकांत ने हाकिम और हकीम में वो फर्क कर ना पाए.., सुनीता भारद्वाज ने ज्यों मूंगफली खाके.., मुकेश सहोत्रा ने ये आखिरी पत्ता भी और पत्तों की तरह.., गीताराम तोमर ने मात्र नारों.., रेनु गोस्वामी ने मुझको खुद से मिले एक जमाना हो गया.., मान्या गुज्जर ने दो कदम साथ पंछी भी नहीं ठहरते.., कविता सुनाई।
शायर नासिर यूसुफजई ने दर्द-ए-फुर्कत ने जब भी मारा है, कैनवस पर तुझे उतारा है, तेरी खातिर सभी से बैर लिया, और तू भी कहां हमारा है.., दीप राज विश्वास ने टूटे दिल में ख्वाब नया कब होता है, कट जाए जो पेड़ हरा कब होता है.., से समां बांधा।

पंकज तन्हा ने इस देश की चरमराती हुई अर्थ व्यवस्था का जिम्मेवार कौन था, आने वाला कल पूछेगा दिल्ली में बैठा वो चौंकीदार कौन था.., प्रभात कुमार ने लाठी वालों की सामंती नफरतें, धार्मिक स्वतंत्रता की चमचमाती तलवारें.., दीप चंद कौशल ने सूट और टाई न खद्दर पहनती इंसानियत.., डा. आईडी राही ने तेरी रफ्तार तेरी गति का जग है कायल..,
इसके अलावा अनिल शर्मा, आशिक अली, अनुदीप भारद्वाज, सरला गौतम, उषा गुज्जर ने भी कविता पाठ किया।
----